संग्रामपुर (बिहार)। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का मकसद गरीब और बेघर परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराना है। लेकिन संग्रामपुर नगर पंचायत में यह योजना अपने मूल उद्देश्य से भटक गई है। यहां कच्चे मकान और झोपड़ी में रहने वाले गरीबों का नाम लिस्ट में पेंडिंग है, जबकि पहले से पक्का मकान, आलीशान मकान और गाड़ियां रखने वाले लोगों को आवास का लाभ दे दिया गया है।
केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी क्षेत्र का उद्देश्य उन परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है जिनके पास देश के किसी भी हिस्से में पक्का घर नहीं है। इसके लिए लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (2011) और आवास+ सर्वेक्षण (2018) के आधार पर किया जाता है।
प्रतीक्षा सूची के लोग वंचित, अपात्रों को मिला लाभ
नगर पंचायत के कर्मचारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि लाभार्थियों के चयन, आवास का जियो टैगिंग और आवंटन में मिलीभगत करने से इनकार नहीं कर सकते। इस खेल को वार्ड संख्या 10 में खुलेआम देखा जा सकता है।
नगर पंचायत में कुल 12 वार्ड हैं और दो चरणों में 326 आवास आवंटित किए गए। इनमें से 70 आवास वार्ड 10 में दिए गए। इसके अलावा सभी 12 वार्ड में ऐसे लाभार्थी शामिल हैं, जिनके पास योजना का लाभ पाने की पात्रता नहीं है। यही कारण है कि नगर पंचायत में आवास आवंटन की प्रक्रिया इन दिनों चर्चा में है।

संपन्न लोगों को आवास, जरूरतमंद वंचित
नगर पंचायत क्षेत्र में कई ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला, जो पहले से ही पक्के मकान, गाड़ी, ट्रैक्टर के मालिक थे। कुछ मामलों में झोपड़ी को घर बताकर फायदा उठाया गया। वहीं, कई गरीबों को लाभ नहीं मिला क्योंकि वे रिश्वत नहीं दे सके। कुछ ने जानवरों के शेड वाली जमीन पर ही आवास बनवा लिया। ऐसे कई अपात्र लोग हैं जिन्हें योजना का फायदा मिला, जबकि सच में ज़रूरतमंद लोग वंचित रह गए।
मामला सामने आने के बाद भी कार्रवाई नहीं
कच्चे मकान वाले का नाम पेंडिंग है जबकि पक्के मकान वाले लोगों का प्रधानमंत्री आवास लिस्ट में नाम आया है जो कि पहले से संपन्न है इस मामले की जानकारी मीडिया रिपोर्ट के जरिए सरकार को मिली और सरकार इस मामले को संज्ञान में लेते हुए नई 5 सितंबर जांच को जांच समिति बनाई गई थीउसके अध्यक्ष का कहना है मुझे क्यों समिति में जोड़ा गया यह काम तो सरकार का है और वह अपनी विभाग से करवानी चाहिए थी जब समिति ही ठीक नहीं बनी है तो जाहिर सी बात है कार्यवाही के नाम पर केवल दूसरी किस्त रोकी गई, और बाकी कार्रवाई नहीं की। साथ ही
गड़बड़ी की जांच के लिए कार्यपालक पदाधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति में,उप मुख्य पार्षद, कनीय अभियंता और स्वच्छता प्रभारी शामिल हैं। उप मुख्य पार्षद का कहना है कि जांच की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधि को देना सही नहीं है,माना जा रहा है कि यह जांच सिर्फ खानापूर्ति के लिए है ताकि नगर पंचायत कर्मियों और बाबुओं को बचाया जा सके। सूत्रों के अनुसार, अपात्र लोगों को आवास देने में रिश्वत ली गई है, जिसकी सही जांच जरूरी है।
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