रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दण्डकारण्य क्षेत्र में शुक्रवार का दिन इतिहास बन गया। दशकों से हिंसा और भय के साए में जी रहे इस इलाके में अब उम्मीद की नई किरण जगी है। यहां कुल 210 माओवादी कैडरों ने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। इनमें 1 सेंट्रल कमेटी सदस्य, 4 डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित कई इनामी और कुख्यात नक्सली शामिल हैं। इसे अब तक का देश का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।
पूना मारगेम” पहल से माओवादियों की घर वापसी
राज्य सरकार की पहल ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नक्सल उन्मूलन नीति ने इस ऐतिहासिक पल को संभव बनाया। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे संवेदनशील इलाकों में यह आत्मसमर्पण शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रहा है।
हिंसा से विश्वास की ओर कदम
जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में आयोजित इस आत्मसमर्पण कार्यक्रम में सभी माओवादियों ने अपने हथियार और हिंसक विचारधारा दोनों को त्याग दिया। कार्यक्रम के दौरान 153 अत्याधुनिक हथियार, जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG जैसी बंदूकें शामिल थीं, पुलिस को सौंपी गई। माओवादियों का स्वागत मांझी-चालकी परंपरा से किया गया और उन्हें संविधान की प्रति व लाल गुलाब भेंट कर शांति का संदेश दिया गया।
पुलिस महानिदेशक बोले
कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो लौटे हैं, वे अब बस्तर में शांति और विकास के दूत बनेंगे। इस मौके पर एडीजी विवेकानंद सिन्हा, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., कमिश्नर डोमन सिंह, और सीआरपीएफ अधिकारी भी मौजूद रहे।
लौटे नेताओं में कई बड़े नाम
आत्मसमर्पण करने वालों में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम समेत कई बड़े माओवादी नेता शामिल हैं। सभी ने संविधान पर आस्था जताई और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।
पुनर्वास और नए जीवन की ओर
राज्य शासन ने सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास, स्वरोजगार और कौशल विकास प्रशिक्षण देने का आश्वासन दिया। स्थानीय मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की आत्मा प्रेम और शांति की रही है, और जो साथी लौटे हैं, वे इस परंपरा को नया जीवन देंगे।
संविधान की शपथ के साथ नई सुबह
कार्यक्रम के अंत में सभी माओवादियों ने संविधान की शपथ ली और हिंसा को सदा के लिए त्यागने का वचन दिया।
“वंदे मातरम्” की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसने बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का संदेश दिया।
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