छत्तीसगढ़ अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लॉक से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां माझी जनजाति की नाबालिग बच्चियों को कथित रूप से बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन की कोशिश की गई। इस मामले में एक महिला आरती माझी के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 की धारा 5(क) के तहत पुलिस ने केस दर्ज किया है।
क्या है पूरा मामला?
रविवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें एक महिला कुछ नाबालिग बच्चियों को चर्च ले जाती हुई दिखाई दी। वीडियो में यह भी देखा गया कि गांव के कुछ युवक महिला और बच्चियों से पूछताछ कर रहे हैं। पूछताछ में बच्चियों ने बताया कि वे माझी जनजाति से हैं और महिला के कहने पर चर्च जा रही थीं।
वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों और धर्म रक्षा समिति के सदस्यों ने गंभीर आपत्ति जताई और कमलेश्वरपुर थाना जाकर महिला के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई।
बच्चों के स्वजन के बयान दर्ज
पुलिस ने माझी जनजाति की बच्चियों को बहला-फुसलाकर चर्च ले जाने के मामले में बच्चियों के परिवारजनों के बयान दर्ज किए हैं। स्वजन ने बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि आरती माझी नाम की महिला उनकी बच्चियों को हर रविवार अपने साथ चर्च ले जा रही थी। उन्हें लगता था कि बच्चियां मजदूरी करने गई होंगी या अपनी सहेलियों के घर होंगी, इसलिए उन्होंने कभी शक नहीं किया और न ही कोई पूछताछ की।
परिवार वालों का यह भी कहना है कि यह सिलसिला कई सप्ताह से चल रहा था, लेकिन इसका खुलासा उस समय हुआ जब एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बच्चियां महिला के साथ चर्च जाती नजर आई। इस वीडियो के सामने आने के बाद ग्रामीणों और धर्म रक्षा समिति ने गंभीर आपत्ति जताई और कमलेश्वरपुर थाने में महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।
शिकायत के आधार पर पुलिस ने छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 की धारा 5(क) के तहत आरती माझी के खिलाफ अपराध पंजीकृत किया है। आरोप है कि महिला बच्चियों को लालच देकर और बिना परिवार की अनुमति के उन्हें चर्च और चंगाई सभा में ले जाती थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बच्चियों के परिजनों के बयान भी दर्ज कर लिए हैं।
यह घटना मैनपाट के उन क्षेत्रों से जुड़ी है जहां माझी और मझवार जनजाति के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं, जैसे बरिमा, कुदारीडीह, सरभंजा, केसरा, नर्मदापुर, कुनिया रोपाखार और सपनादर गांव। इन इलाकों में पहले भी धर्म परिवर्तन से जुड़े आरोप सामने आते रहे हैं।
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महिला ने वीडियो में स्वीकारा – नहीं ली थी परिवार से अनुमति
वायरल वीडियो में खुद आरती माझी ने स्वीकार किया कि उसने बच्चियों को चर्च ले जाने के लिए उनके माता-पिता से कोई अनुमति नहीं ली थी। जब वह बच्चियों को लेकर बरिमा स्थित चर्च जा रही थी, तो गांव वालों को शक हुआ और उन्होंने धर्म रक्षा समिति को सूचना दी।
समिति के सदस्यों ने महिला को रास्ते में ही रोक लिया और मौके पर ही पूछताछ की, जिसमें यह बात सामने आई कि बच्चियां बिना परिवार की जानकारी के महिला के साथ जा रही थीं।
विधायक का बयान – दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
मामले की जानकारी मिलने के बाद सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्पो ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है। उन्होंने कहा,
“अगर मैनपाट ब्लॉक में बच्चों को बहला-फुसलाकर चर्च ले जाने और धर्मांतरण का प्रयास हुआ है, तो इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।”





