छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमिटर दूर ओड़गी विकासखण्ड में स्थित है कूदरगढ़ धाम जहां मां बागेश्वरी की शक्ति, जंगलों की शान्ति और आस्था की गहराई एक साथ मिलती है। यह चमत्कारी मंदिर 1500 फीट ऊंचे पहाड़ पर दुर्लभ पेड़-पौधों और झरनों से भरा हुआ है जहां खुले स्थान पर एक वटवृक्ष के नीचे मां बागेश्वरी की मुर्ति स्थापित है, मंदिर तक पहुंचनें के लिए लगभग 893 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
यहां लोग अपनी मन्नत पूरी करने के लिए मंदिर के बाहर पेड़ पर नारियल बांधते हैं। मान्यता के अनुसार कुदरगढ़ क्षेत्र मां भगवती पार्वती की तपस्थली रही है जहां माता भगवती ने शक्ति का रूप धारणक कर राक्षसों का संहार किया था। बाद में इसी जगह पर लगभग चार सौ साल पहले राजा बालंद ने माता बागेश्वरी को स्थापित किया वे माता के भक्त थे।
राजा बालंद साह 400 साल पहले
डाल्टन के अनुसार मान्यता है कि यही वह जगह है जहां मां भगवती ने राक्षसों का संहार किया था , लगभग 17 वीं शताब्दी में कोरिया के शासक राजा बालंद साह ने मंदिर का निर्माण कराया और मुर्ति स्थापित की।
चौहान वंश का शासन
राजा बालंद को चौहान वंश के राजा ने युध्द में हराया और बाद में मंदिर की देखरेख चौहान वंश के पास आ गई । आज भी नवरात्र की पहली आरती चौहान वंश के वंशज करते हैं।
बैगा समुदाय का योगदान
18वीं सताब्दी में , चौहान राजाओं ने माता की पुजा और देखरेख की जिम्मेदारी बैगा समुदाय को सौपीं थी । तब से बैगा समुदाय ही पूजा अर्चना करते हैं।
यहां चैत्र नवरात्र में लगता है विशाल मेला
मां कुदरगढ़ धाम में चैत्र नवरात्र में विशाल मेला लगता है। कुदरगढ़ी ट्रस्ट इसकी देखरेख करती है। चैत्र नवरात्र में पुरे 9 दिनों तक यहां लाखों की संख्या में श्रध्दालू दर्शन करने पहुंचते हैं।









